Friday, March 27, 2009

o chanda!


वो उसे
कभी नही देखता
फिर भी वो
हर पल तका करता है

काश कोई उसको
जाके कह दे
चन्दाकभी तो
गौर से देखो
कोई तुझे
हर पल तकता है

अब तो 
इक तारा 
इक टूटी उम्मीद लिए
टूटने को है..!!!  

~मेयनूर

4 comments:

  1. बहुत सुन्दर कविता है, बधाई!

    नोट: टूटी और टूटने

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  2. Shukriya vinay ji.... i edited...

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  3. इसे यूँ कर दें ना....
    वो उसे
    कभी नही देखता
    फिर भी वो
    हर पल........
    तका करता है

    काश.... कोई
    उसको....
    जाके कह दे
    ओ चन्दा!
    कभी तो....
    गौर से देखो
    कोई तुझे
    हर पल तकता है

    अब तो
    इक तारा
    इक्......
    टूटी उम्मीद लिए
    टूटने को है..!!!
    (शायद अब और बेहतर लगे....वैसे अच्छी तो तब भी थी....सच....)

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  4. Hey maynur...
    I must say its too good yaar...
    sahi kaha tha aap ne ki kahi kuch meri kavitaa ki theme bhi same hai..
    Abhi maine aap ki purani post padhi nahi.
    Now i must say kisi din fursad se padhundi..
    have a good day... :)

    khyati shah

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