दिन सफ़ेद रात काली है
चंदा सूरज की पीली लाली है
आधी हरी आधी नीली है
यहाँ जिन्दगी हरियाली है
बच्चे सो चुके निपटा के
माँ का मगर पेट खाली है
पुलिस ने मारा है एनकाउंटर करके
लोगो ने भी कह दिया मवाली है
बच्चा भी अजीब जिद में था
वो पुरनम नहीं उसकी थाली है
जूठे सो रहे जीत के चैन से
या खुदा तेरी रीत निराली है
फसने ही वाले है सब कहीं
ज़िन्दगी मछुआरे की जाली है
झील का गुमाँ सिर्फ दूर से है
पास जाओ देखो वो नाली है