There was a lady human bomb in bus.... she was thinking like this....
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बचपन ही से सुना था
वो दिन आएगा जब
इस जिस्म की मौत होगी
पर कहते थे
कोई जान नही पाता
वो दिन कब आएगा
पर मै जानती हूँ
हाँ, मौत मेरे हाथ मे है,
मेरी भी और
कई मासूमो की.
इस बस मे
जो बैठे हुए है
सब ही बेखबर है
अगर यह जान जाते
आज यहाँ
मौत आनी है
कोई भी नही आता
पर मै आई हूँ
मौत को साथ मे लेकर
मेरी भी और
कई मासूमो की
मेरे आगे जो बैठे है
कितने खुश लग रहे है
शायद 'न्यूली मॅरीड' है
कितने सपने है
इनकी आंखो मे
तभी तो हाथ लिए बैठे है
एक दूसरे के हाथो मे
उफफ्फ.... ये पीछे
किसका बच्चा रो रहा है
बहुत छोटा है शायद
खिलोने से भी चुप ना होगा
मै इसे चुप करा दूँगी
मौत से
मेरी भी और
कई मासूमो की
पहले से ही बताया गया था
यह प्यार-वफ़ा, रिश्ते-नाते
हमारे लिए नही है
हमारे दिल मजबूत है
इनमे बह जाये
इतने कमज़ोर नही है
फिर आज यह क्या हो रहा है
क्यों, आज अचानक
मै यह सब सोच रही हूँ
क्यूँ, दिल कहता है
मै जो बदला लेने निकली हूँ
उसमे इनका कोई दोष नही है
फिर ये जो सज़ा अपने साथ लाई हूँ
वो इन्हे क्यूँ....???
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then she received a phone call and she pulled out the pin of the human bomb....
and in few minutes there were breaking news on all news channels....
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It’s the gift of that trauma; I went through after 26/11
मन की निर्मल सोच साफ़ दिखायी देती है!
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चाँद, बादल और शाम