Wednesday, September 2, 2009

इक दीमक

मरने की कगार पर है
इक दीमक
जिसने गालिब की
ग़ज़ले चबाई है
जिंदगीभर

अब जब मरकर
उठेगा फिरसे
सारी ग़ज़ले
उगलेगा

~मेयनूर

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