ik safha zindagi
from the book of destiny.....
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Meynur
रात की पलकों पर
इक ख्वाब सजा है
जो चाँद से छुपा है
और दिन को पता है
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Wednesday, September 2, 2009
इक दीमक
मरने की कगार पर है
इक दीमक
जिसने गालिब की
ग़ज़ले चबाई है
जिंदगीभर
अब जब मरकर
उठेगा फिरसे
सारी ग़ज़ले
उगलेगा
~मेयनूर
Wednesday, May 13, 2009
साया
इक शाम सा साया है
बड़ी दूर से आया है
गमने भले ना सही हमने
रिश्ता-ए-गम खूब निभाया है
थी सही इक धुंधली सी मंजिल
ना दिखी कहीं ना ही उसे पाया है
अँधेरा छटेगा नहीं यूंही सोचके
चराग हम ने खूब जलाया है
सुकून-ओ-शान से रहते थे हरदम
हमारा भी चैन किसीने चुराया है
Tuesday, April 14, 2009
या खुदा तेरी रीत निराली है
दिन सफ़ेद रात काली है
चंदा सूरज की पीली लाली है
आधी हरी आधी नीली है
यहाँ जिन्दगी हरियाली है
बच्चे सो चुके निपटा के
माँ का मगर पेट खाली है
पुलिस ने मारा है एनकाउंटर करके
लोगो ने भी कह दिया मवाली है
बच्चा भी अजीब जिद में था
वो पुरनम नहीं उसकी थाली है
जूठे सो रहे जीत के चैन से
या खुदा तेरी रीत निराली है
फसने ही वाले है सब कहीं
ज़िन्दगी मछुआरे की जाली है
झील का गुमाँ सिर्फ दूर से है
पास जाओ देखो वो नाली है
Tuesday, April 7, 2009
अब मै गुज़र गया
इक ख़याल बनके वो दिल से गुजर गया
फिर क्या जाने कैसे लबों पे ठहर गया
कोई नाम होगा या कोई ख्याल तनहा
दस्तक जिसकी पाके ये दिल सिहर गया
इक जान चाहिए है गर्मजोशी को
वरना क्यूँ तेरे जाते मै ठीठर गया
शाम से संजोया मैंने खाब रातों को
दस्तक सहर ने दी और वो बिखर गया
अश्क उसका बारहा सता रहा मुझे
हटाओ, कहो उसे, अब मै गुज़र गया
Friday, March 27, 2009
o chanda!
वो
उसे
कभी
नही
देखता
फिर
भी
वो
हर
पल
तका
करता
है
काश
कोई
उसको
जाके
कह
दे
चन्दा
!
कभी
तो
गौर
से
देखो
कोई
तुझे
हर
पल
तकता
है
अब
तो
इक
तारा
इक
टूटी
उम्मीद
लिए
टूटने
को
है
..!!!
~
मेयनूर
Saturday, March 7, 2009
Ek Kali
जिसके
साये
मे
,
एक
कली
,
फूल
बनके
खिली
,
उस
तारे
से
,
उस
को
प्यार
हो
गया
.
वो
तमाम
उम्र
,
हाँ
,
पूरा
एक
दिन
उसकी
झलक
को
तरसती
रही
.
~मेयनूर
Thursday, March 5, 2009
अधूरा चाँद
कहते
है
चाँद
कभी
अधूरा
नही
होता
वो
तो
बस
जमीं
की
छलनी
से
ऐसे
अधूरा
सा
लगता
है
वैसे
ही
जैसे
खुदा
का
प्यार
किस्मत
की
छलनी
से
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