Tuesday, April 14, 2009

या खुदा तेरी रीत निराली है


दिन सफ़ेद रात काली है
चंदा सूरज की पीली लाली है

आधी हरी आधी नीली है
यहाँ जिन्दगी हरियाली है

बच्चे सो चुके निपटा के
माँ का मगर पेट खाली है

पुलिस ने मारा है एनकाउंटर करके
लोगो ने भी कह दिया मवाली है

बच्चा भी अजीब जिद में था
वो पुरनम नहीं उसकी थाली है

जूठे सो रहे जीत के चैन से
या खुदा तेरी रीत निराली है

फसने ही वाले है सब कहीं
ज़िन्दगी मछुआरे की जाली है

झील का गुमाँ सिर्फ दूर से है
पास जाओ देखो वो नाली है

Tuesday, April 7, 2009

अब मै गुज़र गया



इक ख़याल बनके वो दिल से गुजर गया
फिर क्या जाने कैसे लबों पे ठहर गया

कोई नाम होगा या कोई ख्याल तनहा
दस्तक जिसकी पाके ये दिल सिहर गया

इक जान चाहिए है गर्मजोशी को
वरना क्यूँ तेरे जाते मै ठीठर गया

शाम से संजोया मैंने खाब रातों को
दस्तक सहर ने दी और वो बिखर गया

अश्क उसका बारहा सता रहा मुझे
हटाओ, कहो उसे, अब मै गुज़र गया